सेंट्रल जेल में कोरोना फैलने का खतरा देखते हुए कैदियों को जमानत पर छोड़ना शुरू कर दिया गया है। अब तक 90 बंदियों को जमानत दे दी गई है। जिला विधिक सेवा प्राधिकरण ने सबके जमानत आवेदन और बाकी दस्तावेज उपलब्ध करवाए। जिला एवं सत्र न्यायाधीश श्री रामकुमार तिवारी ने खुद उपस्थित रहकर पूरी प्रक्रिया पूरी करवायी।
जेल में क्षमता से दोगुने कैदी बंद होने के कारण उनकी संख्या कम करने के प्रयास किए जा रहे हैं। सेंट्रल जेल की क्षमता 11 सौ है, जबकि यहां आमतौर पर 28-29 सौ कैदी हमेशा बंद रहते हैं। अभी भी यही स्थिति है। क्षमता से ज्यादा कैदी होने के कारण उन्हें बैरकों में एक तरह से ठूंस-ठूंसकर रखा जाता है। अभी जिस तरह से कोरोना का संक्रमण फैला हुआ है, उसे देखते हुए विशेषज्ञों ने जेल में कैदियों की संख्या कम करने की सलाह दी थी। उसके बाद जेल विभाग की ओर से प्रस्ताव भेजा गया। उसे देखते हुए जिला विधिक प्राधिकरण ने इसके लिए पहल की। उसी के बाद सामान्य मामलों में बंद बंदियों को जमानत पर छोड़ने की प्रक्रिया शुरू की गई।
अफसरों ने संकेत दिए हैं कि आने वाले दिनों में कुछ और बंदियों को जमानत पर छोड़ा जा सकता है। ऐसे केस छांटे जा रहे हैं जिनके तहत लोग कई कई दिन से बंद हैं, लेकिन उनकी जमानत नहीं हो पा रही है। एेसे मामलों के बंदियों को भी सशर्त जमानत दे दी जाएगी। अफसरों के अनुसार पुराने मामलों में लंबे समय से बंद कैदियों केा पैरोल पर भी छोड़ने का विकल्प है। इस दिशा में भी विचार किया जा रहा है। जरूरत पड़ने पर इसका प्रस्ताव भी न्यायालय भेजा जाएगा। जेल के बंदियों को जमानत दिए जाने की जानकारी प्राधिकरण के सचिव उमेश उपाध्याय ने दी है।
650 की क्षमता की बैरकें बनकर तैयार
सेंट्रल जेल के पिछले हिस्से में बस स्टैंड से सटे हिस्से पर 650 बंदियाें काे रखने के लिए नई बैरकें बनकर तैयार हैं। कुछ फिनिशिंग का काम बाकी है। अफसरों के अनुसार कोरोना वायरस के कारण काम बंद करना पड़ गया। अब तक बैरकें तैयार हो जाती। नई बैरकों में बंदियों को रखने की मंजूरी मिलने के बाद यहां ज्यादा दिक्कत नहीं होगी। गौरतलब है कि रायपुर सेंट्रल जेल अंग्रेजों के जमाने में बनकर तैयार हुई थी। उस समय अंग्रेजी हुकूमत आजादी की लड़ाई लड़ने वाले स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों को भी यहीं रखती थी।